भावनगर लोक विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ हर्षद जोशी ने कहा कि जब किसी अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में भेजा जाता है, तो अंतरिक्ष यान के जो पुर्जे/भाग पूरे हो जाते हैं, उन्हें अलग-अलग स्तरों पर अंतरिक्ष यान को हल्का करने के लिए अंतरिक्ष में छोड़ा जाता है। जो शुन्याव्काश के कारण पृथ्वी की परिक्रमा करने लगती है।
इस पदार्थ के बारे में बात करते हुए हर्षद जोशी का कहना हैं की, घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक अंतरिक्ष अपशिष्ट है जिसका आकार 1 मिमी से 4 टन तक हो सकता है। वैज्ञानिकों की भाषा में स्पेस जंक/स्पेस डेब्रिस भी कहा जाता है। चीनी चांग झेंग 5बी रॉकेट(Chinese Chang Zheng 5B rocket ) के टुकड़े, जिसे फरवरी 2021 में लॉन्च किया गया था, लेकिन कुछ समय बाद संपर्क रोकेर्ट टूट गया और नियंत्रण से बाहर हो गया था।
अमेरिकी खगोलशास्त्री जोनाथन मैकडॉवेल का कहना है कि केची का चांग झेंग 5बी रॉकेट, जिसे फरवरी 2021 में लॉन्च किया गया था, शनिवार को पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर गया और भारतीय आसमान में प्रज्वलित हो गया। रॉकेट से अधिकांश मलबा पुन: प्रवेश के दौरान जलने की संभावना है। और इससे कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है।
अक्सर ऐसी चीजे अपनी कक्षा से दूर चली जाती हैं और LEO (निम्न पृथ्वी की कक्षा – 120-2000km) की परिक्रमा करने लगती हैं। किसी भी परिस्थिति में (विशेषकर आंतरिक टकराव में) इतनी बड़ी वस्तु पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बलको प्रभावित नहीं करता है और उसे पृथ्वी की ओर बढ़ने का कारण नहीं बनता है। गति वस्तु के प्रज्वलित करने के लिए घर्षण का कारण बनती है। अक्सर एक गिरता हुआ तारा, धूमकेतु या उल्का के रूप में जाना जाता है। दरअसल यह मानव निर्मित अंतरिक्ष कचरा है। जिसके उदाहरण गैर-जलने वाले हिस्से हैं जो कई बार जमीन पर गिर चुके हैं।
ऐसे मानव निर्मित अंतरिक्ष कचरे को पृथ्वी पर वापस लाने के लिए इसरो-नासा गेट मिशन पर विचार किया जा रहा है। कुछ लोग यह भी दावा कर रहे हैं कि दक्षिण गुजरात के कुछ गांवों के आसमान में एक उल्कापिंड की तरह जलती हुई वस्तु का अवकाशीय गोला देखने के लिए लोग कल शाम अपने घरों से बाहर निकल आए. तभी सापुतारा के सनराइज डूंगर से सटी घाटी में धुएं से टकराती इस अद्भुत चीज की चर्चा हो रही है।गुजरात में भी यह राजकोट,मेहसाणा और महिसागर में दिखाए दीया था।