यह सब शिव के रूप में जुड़ा हुआ है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शंकर का एक मंदिर है जहां उनका टूटा हुआ त्रिशूल स्थापित है। धार्मिक मान्यताओं के आधार पर यह बात तो सभी जानते हैं कि भगवान शिव को अपने नाग और त्रिशूल बहुत प्रिय हैं। वह कभी भी इन चीजों को अपने से अलग नहीं करते।भगवान भोलेनाथ का 2800 साल पुराना मंदिर है जहां उनका त्रिशूल आज भी संरक्षित है। आज हम बात करेंगे उस मंदिर के बारे में। जम्मू-कश्मीर में वैष्णोदेवी का पटनीटॉप वाला मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में से एक है। पौराणिक ग्रंथों में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है।
आज हम आपको इस मंदिर से जुड़ी खास और प्राचीन कथा के बारे में बताएंगे। सुध महादेव का मंदिर पटनीटॉप में है।सुधु महादेव का मंदिर जम्मू से 120 किमी दूर पटनीटॉप के पास स्थित है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां की जमीन में तीन विशाल त्रिशूल देखने को मिलते हैं।जो कि पौराणिक कथाओं के अनुसार स्वयं भगवान शिव के हैं। पुराणों के अनुसार मां पार्वती की जन्मस्थली मंतलाई थी।
यहां माताएं अक्सर पूजा करने आती हैं। एक बार उनके पीछे सुधांत नाम का एक राक्षस आया। वह भी शिव का भक्त था और पूजा करने आया था। पूजा समाप्त होने के बाद अपने सामने दैत्य को देखकर माता पार्वती का उफान निकल जाता है। उसकी आवाज सुनकर समाधि में डूबे भगवान शंकर को लगता है कि माता पार्वती संकट में हैं। इसलिए वे अपनी रक्षा के लिए त्रिशूल फेंकते हैं।
यह त्रिशूल दानव के हृदय को भेदता है। बाद में शिवाजी को पता चलता है कि उन्होंने अनजाने में बहुत बड़ी गलती की है। इसके बाद वह खुद को प्रकट कर सुधांत को फिर से जीवन देना चाहता है। लेकिन सुधांत अपने प्रिय भगवान के हाथों अपने प्राणों की आहुति देकर मोक्ष प्राप्त करना चाहता है। तब भगवान शंकर सुधंता से कहते हैं कि यह स्थान महादेव के नाम से जाना जाएगा।