डेयरी फार्मिंग और पशुपालन एक बहुत ही कठिन काम है, लेकिन अगर कोई इस काम को कड़ी मेहनत और लगन से करता है, तो उसे निश्चित सफलता मिलती है. इसमें कोई शक नहीं है कि डेयरी व्यवसाय एक लाभदायक व्यवसाय है। आज हम एक युवा डेयरी किसान श्रद्धा धवन के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने केवल 21 साल की उम्र में सफलता हासिल की है।
श्रद्धा धवन की सफलता की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो खेती और पशुपालन में सफल होना चाहते हैं। यह एक 21 साल की बेटी की कहानी है जिसने अपने पिता को डेयरी के काम में मदद की और आज वह लाखों रुपये कमाती है।सुर्खियों में हैं. दरअसल, अहमदनगर से 60 किमी दूर निघोज गांव है, जहां 21 साल की श्रद्धा धवन ने डेयरी फार्मिंग और दूध उत्पादन में एक मिसाल कायम की है.
श्रद्धा धवन के पिता विकलांग हैं, इसलिए उन्हें अपनी बाइक पर दूध बेचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ी। यह कार्य उसके लिए कठिन था क्योंकि शारीरिक परिस्थितियाँ प्रतिक्रिया दे रही थीं। हालात तब बदल गए, जब 2011 में एक पिता ने अपनी बेटी श्रद्धा को यह टास्क सौंपा। श्रद्धा ने कहा, ‘मेरे पिता बाइक नहीं चला सकते थे। मेरा भाई कोई भी जिम्मेदारी लेने के लिए बहुत छोटा था। इसलिए मैंने 11 साल की उम्र में यह जिम्मेदारी संभाली,
हालाँकि मुझे यह बहुत अजीब लगा, क्योंकि हमारे गाँव में इस तरह का काम पहले किसी और लड़की ने नहीं किया था।11 साल की उम्र में, श्रद्धा धवन अपने पिता के साथ डेयरी व्यवसाय में शामिल हो गईं और भैंस का दूध बेचना शुरू कर दिया। श्रद्धा ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ डेयरी में भी अपने काम को प्राथमिकता दी। आस्था की कड़ी मेहनत रंग लाती है और पढ़ाई के साथ-साथ डेयरी कारोबार भी चमकता रहता है। नतीजा यह हुआ कि एक परिवार जो कभी गरीबी में रहता था, अब खुश है। सबसे बड़ी भूमिका आस्था द्वारा निभाई जाती है।
उन्होंने कहा कि 2013 तक उन्हें दूध की बड़ी केतली ले जाने के लिए एक मोटरसाइकिल की जरूरत थी। उस समय उनके पास एक दर्जन से अधिक भैंसें थीं और उसी वर्ष उनके लिए एक शेड बनाया गया था। 2015 में श्रद्धा ने 10वीं कक्षा के दौरान एक दिन में 150 लीटर दूध बेचा। 2016 तक, उनके पास लगभग 45 भैंसें थीं, और वे प्रति माह 3 लाख रुपये कमा रहे थे। श्रद्धा धवन की मेहनत की बदौलत आज उनके परिवार के पास 80 भैंसें हैं। यह डेयरी उद्योग से 2 मंजिला इमारत भी बन गई है।
आज श्रद्धा डेयरी फार्म में 80 भैंसें हैं, जो प्रतिदिन 450 लीटर दूध का उत्पादन करती हैं। अपनी बुद्धिमत्ता, प्रतिभा, कड़ी मेहनत और लगन से श्रद्धा आज पूरे क्षेत्र में एक सफल महिला डेयरी किसान के रूप में उभरी हैं और एक रोल मॉडल बन गई हैं। ऐसी महिला औ को सचमे देशमे आगे होना पड़ेगा तब हमारा देश उच्च स्थान पर पहोचेगा|