आम आदमी पार्टी के प्रदेश महामंत्री मनोज सोरठिया की उपस्थिति में गुजरात प्रदेश उपाध्यक्ष सागर भाई रबारी ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि गुजरात में बीजेपी सरकार पानी चुरा रही है. किसानों के हिस्से का पानी चोरी हो रहा है, भाजपा सरकार को पानी चोरी का पता लगाना जरूरी है। बांध में पानी होने के बावजूद, किसानों की फसल सूख रही है, यह एक गंभीर मुद्दा जिस पर भाजपा सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
फिलहाल बारिश थम गई है, इसलिए किसान खेती के लिए नर्मदा के पानी का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी ओर, सरकार ने बांध में जल स्तर कम होने का हवाला देते हुए पिछली गर्मियों में रोपण के लिए पानी देना बंद कर दिया था। दरअसल, किसानों को पानी की आपूर्ति बंद होने के बाद से कल तक नर्मदा बांध में पानी की स्थिति के बारे में आंकड़े क्या कहते हैं? सागर रबारी ने सटीक आंकड़ों के साथ इसकी जानकारी दी।
पानी चोरी के मुद्दे पर विस्तार से बताते हुए सागर रबारी ने कहा कि भाजपा सरकार के द्वारा नाटकीय रूप से सिंचाई के पानी ना देते हुए वेबसाइट पर जो आंकड़े बताए हैं उसमें 22 जून तक 52.7 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी बचा है। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण की वेबसाइट के मुताबिक, किसानों के लिए पानी काट दिए जाने के बाद से बांध की सतह ऊपर उठ रही थी। उच्चतम जल स्तर तारीख 1-5-2022 तक यह 120.98 मीटर था, बांध में पानी की मात्रा 1,396 मिलियन क्यूबिक मीटर यानी 11,31,755 एकड़ फीट थी।
इससे स्पष्ट है कि पानी की मात्रा में कमी पीने के पानी में कमी नहीं है। गुजरात के लोगों के लिए योजना में वर्ष भर आवंटित पेयजल की राशि 0.86 मिलियन एकड़ फीट यानि 860,000 एकड़ फीट है। लेकिन पीने के पानी में कोई तेजी मंदी आती नहीं, वह तो रोज सामान रहता है।
बांध में सबसे अधिक मात्रा में पानी 1-5-2022 तक कुल 11,31,755 एकड़ फीट था। तब से लेकर 22-2-2020 तक के 73 दिनों में कुल 869 मिलियन क्यूबिक मीटर यानी 7,04,509 एकड़ फीट पानी का इस्तेमाल हो गया। पूरे वर्ष के लिए 860,000 एकड़ फीट पेयजल की आवश्यकता में से 7,04,509 एकड़ फीट पानी केवल 73 दिनों में उपयोग किया गया।
सागर रबारी ने आगे कहा कि साल के 365 दिनों की कुल मात्रा का 81.91% सिर्फ 73 दिनों में इस्तेमाल किया गया था! यह संभव नहीं है। इसलिए मैं कहता हूं कि गुजरात सरकार और सरदार सरोवर नर्मदा निगम मेळापिपणा में किसानों से पानी चुरा रहे हैं। सरकार अगर शाहूकार हो तो 73 दिन में 869 करोड़ क्यूबिक मीटर 7,04,509 एकड़ फीट पानी किसको दिया इसका हिसाब दे। अगर भाजपा सरकार और सरदार सरोवर नर्मदा निगम की नियत साफ़ हैं, उन्होंने किसी भी तरह की पानी की चोरी नहीं की है, तो गुजरात के किसानों और हर जनता को नर्मदा के पानी का हिसाब दें। अगर भाजपा सरकार नर्मदा के पानी का हिसाब नहीं देती, आंकड़े छुपाती है और नर्मदा के पानी का संतोषजनक हिसाब नहीं देती है, तो गुजरात के किसान चिल्लाएंगे और कहेंगे, “सरकार पानी चोर है।”
हर साल, हर गर्मी में, भाजपा सरकार किसानों के लिए पानी की कमी का बहाना बनाती है। उसमे वह कुछ मुद्दों को स्पष्ट करे लिए हम मीडिया के माध्यम से गुजरात की भाजपा सरकार को एक खुला पत्र भेजने जा रहे हैं। किसानों की ओर से हमारी भाजपा सरकार के लिए मुख्य सवाल है, इसमें यदि भाजपा सरकार यह खुलासा करती है कि जब पानी आवंटित किया गया था तब जनसंख्या कम थी और अब जनसंख्या बढ़ गई है, तो भाजपा सरकार को मेरी सीधी सलाह है कि आप नर्मदा परियोजना रिपोर्ट पढ़ें। यह आवंटन गुजरात के भविष्य के पेयजल और औद्योगिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया था, इसलिए भाजपा सरकार का यह बहाना काम नहीं करेगा। सागर रबारी ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘हां, हो सकता है कि शांतिग्राम और गिफ्ट सिटी के लिए पानी आवंटित नहीं किया गया हो।
हमारा सवाल बीजेपी सरकार से है कि आप नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी की तरह अपना पानी का हिसाब ऑनलाइन क्यों नहीं रखते? आपको हर सरकारी एजेंसी की तरह वार्षिक रिपोर्ट जो प्रस्तुत करना होता है वो 2018-19 से प्रस्तुत क्यों नहीं किया? और इन 73 दिनों में 7,04,509 एकड़ फीट पानी का इस्तेमाल हो चुका है, सरकार किसानों को हिसाब देती है? क्या नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण को अब सरकार द्वारा उपयोग किए जाने वाले पेयजल की मात्रा की जानकारी है? क्या यह पानी की मात्रा से निर्धारित होता है? किसानों को धोखा देने के लिए जो वॉटर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है वह तटीय उद्योगपतियों को भी पर्याप्त पानी उपलब्ध कराता है, तो वहा कितना पानी उपलब्ध कराया जाता है? अगर बीजेपी सरकार किसानों को इन सवालों का जवाब नहीं देती है, तो इसका मतलब सिर्फ इतना होगा कि सरकार खुद पानी की चोर है।
भाजपा सरकार से सवालों की अपनी सूची जारी रखते हुए सागर रबारी ने कहा कि भाजपा सरकार चुनाव के दौरान गुजरात में ‘कल्पसर’ परियोजना का भूमि पूजन कर रही है। इससे पहले भी तीन बार कर चुकी हूं। प्रत्येक वार्षिक बजट नर्मदा और कल्पसर के लिए एक अलग बजट आवंटित किया जाता है, गुजरात सरकार के पास कल्पसर परियोजना के लिए एक अलग विभाग है। लेकिन कल्पसर परियोजना गुजरात में कहा तक पहुंची है? किसानों को यह हर जानकारी दी जानी चाहिए।