3 मई को चार धाम यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 20 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि मौतें दिल की समस्याओं और ऊंचाई की बीमारी के कारण हुईं है। यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में 14 यात्रियों की मौत हो गई है।
इनमें एक नेपाली मजदूर भी शामिल है। इसके अलावा केदारनाथ में पांच और बद्रीनाथ में एक की मौत की खबर सामने आए है। छह दिनों में 20 तीर्थयात्रियों की मौत ने यात्रा आयोजकों और प्रशासन के बीच चिंता बढ़ा दी है। तीर्थयात्रियों को केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के लिए एक कठिन मार्ग की यात्रा करनी पड़ती है। ऊंचाई वाले इलाकों से गुजरने वाले पैदल रास्ते ठंडे होने के साथ-साथ ऑक्सीजन की भी कमी रहती है।
ऐसे में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कैंसर और अस्थमा के मरीजों को चलते समय स्वास्थ्य खराब होने का खतरा रहता है। चारधाम वास्तव में 10,000 फीट से 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जिससे कई तीर्थयात्रियों को हृदय संबंधी परेशानी हुई। इन 20 लोगों में से 4 लोगों की मौत गुजरात के रहेने वाले थे| जबकि 2 लोग महाराष्ट्र से और 3 लोग राजस्थान से है. बाकी लोगों की अभी तक पर्याप्त जानकारी नहीं मिली है।
हैरानी की बात यह है कि एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, राज्य ने तीर्थयात्रियों के लिए स्वास्थ्य फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करना अनिवार्य नहीं किया और न ही तीर्थयात्रियों की संख्या की कोई सीमा तय की। साथ ही इस साल कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्र या निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट को अनिवार्य नहीं किया गया है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि मौतें कई कारणों से हुई हैं।
ज्यादातर मौतें हार्ट अटैक से हुई हैं।
उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. के.एस. चौहान ने कहा, ‘तीर्थयात्रियों की संख्या की कोई सीमा नहीं है और चौकियों पर भीड़ बहुत अधिक है। लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण के लिए परीक्षण नहीं किया जाता है और यदि कोई व्यक्ति अनुपयुक्त पाया जाता है तो वे दुर्घटना के लिए भुगतान करने को तैयार हैं, और 60 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे लोग हैं जिन्हें उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी कई बीमारियां हैं।