रहस्यमयी मंदिर की खौफनाक कहानी: शाम होते ही शापित किराडू मंदिर जाने से डरते हैं लोग

दुनिया में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं, कुछ मंदिर चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं तो कुछ…

दुनिया में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं, कुछ मंदिर चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं तो कुछ अपने रहस्य के लिए जाने जाते हैं। अब जब यह रहस्य खुल गया है तो आज मैं आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताऊंगा जहां शाम के बाद मंदिर में कदम रखने वाले लोग पत्थर बन जाते हैं।

आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आपके पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी। राजस्थान से 48 किलोमीटर दूर बाड़मेर में सेलश नाम का एक गांव है। इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां एक मंदिर है, जहां रात में गलती से जाने वाला इंसान हमेशा के लिए पत्थर बन जाता है। इसके पीछे क्या है?

मंदिर का एक रहस्य
अगर कोई व्यक्ति गलती से गांव के किराडू मंदिर में कदम रख देता है तो वह व्यक्ति पत्थर की मूर्ति बन जाता है। सोचने वाली बात यह है कि इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो का मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर शुरू से ही श्रापित मंदिर है। कई बार लोग इस मंदिर का रहस्य जानने की कोशिश करते थे लेकिन लोगों को वहां जाने में डर भी लगता था। ऐसा होने के पीछे का कारण मंदिर को मिले श्राप का परिणाम है। और तभी से लोग शाम के बाद इस मंदिर में जाने से डरते हैं।

कुछ लोगों ने इस मंदिर के बारे में जानने की कोशिश भी की लेकिन जो लोग इस मंदिर में गए वो आज तक वापस नहीं लौटे और उनका कोई पता नहीं चल पाया है। शापित मंदिर एक खंडहर की तरह है और इसके अंदर अब कुछ मूर्तियाँ ऐसी अवस्था में हैं कि जो लोग वहाँ प्रवेश करने की कोशिश करते हैं और कुछ भी जानने की कोशिश करते हैं वे पत्थर में बदल जाते हैं और कभी वापस नहीं आते।

900 साल पहले के एक श्राप का परिणाम
करीब 900 साल पहले इस गांव में एक सिद्ध संत अपने शिष्यों के साथ रहते थे। कुछ दिन बाद संत तीर्थ यात्रा के लिए निकले। लेकिन जाने से पहले उन्होंने अपने शिष्यों को इस गांव के लोगों के भरोसे छोड़ दिया। संत ने सोचा कि स्थानीय लोग उन्हें भोजन, पानी और सुरक्षा प्रदान करेंगे। संत के मंदिर जाने के बाद निवासियों ने उनके शिष्यों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। केवल एक कुम्हार ही उनकी देखभाल कर रहा था। धीरे-धीरे कई शिष्य बीमार पड़ गए। कुछ दिन बाद जब संत लौटे तो उन्होंने देखा कि सभी शिष्य भूख से तड़प रहे थे और बहुत बीमार और कमजोर हो रहे थे।

यह दृश्य देखकर संत को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा कि अगर साधु-संतों के प्रति लोगों में दया नहीं होगी तो दूसरों का क्या होगा। मनुष्य को ऐसी जगह नहीं रहना चाहिए। उन्होंने क्रोधित होकर हाथ में कमलदल का जल लेकर नगरवासियों को पत्थर हो जाने का श्राप दे दिया और तभी से यह मंदिर शापित कहलाया। संत ने कुम्हार को बुलाया और कहा कि तुम शाम होने से पहले ही इस नगर को छोड़ देना और जाते समय पीछे मुड़कर मत देखना। संत के अनुसार कुम्हार को शक हो गया और उसने शहर छोड़ते समय पीछे मुड़कर देखा और संत के श्राप के कारण वह भी पत्थर का हो गया। तब से आज तक शाम के बाद कोई भी मंदिर में प्रवेश करने की हिम्मत नहीं करता।