पिछले 20 सालों से यह चौकीदार शहीद जवानों के परिवार को लीख रहा है पत्र, क्या है उसके पीछे का राज ?

आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं कि आपका दिल खुशी से झूम उठेगा। आप खड़े होकर उसे सलामी भी…

आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं कि आपका दिल खुशी से झूम उठेगा। आप खड़े होकर उसे सलामी भी करेंगे। दरअसल यह बात सूरत में रहने वाला एक आम चौकीदार की है। वह चौकीदार पिछले 20 सालों से देश के शहीद जवानों के लिए एक बहुत ही अच्छा काम कर रहा है। जो वाकई काबिले तारीफ है।

जितेंद्र सिंह गुर्जर नाम का एक व्यक्ति सामान्य चौकीदार का काम करता है। लेकिन साथ ही उनको अपने देश के प्रति जुनून भी है।वह 19 साल की उम्र से ही ऐसा कार्य कर रहे हैं। उन्होंने 1999 में शहीदों के परिवार को पत्र लिखना शुरू किया था जो कार्य वह आज तक निभाते आए हैं जानकारी के मुताबिक जितेंद्र के फीता पहले पीसी फायदा हो चुके हैं।

उनकी भी सेना में भर्ती होने की तीव्र इच्छा थी। लेकिन चाय में कुछ सेंटीमीटर की कमी के कारण उसका सिलेक्शन नहीं हुआ। इससे जितेंद्र को 2 को है लेकिन उन्होंने फैसला लिया कि वह देश को अपनी सेवाएं अलग तरीके से देंगे। एक बार फिर 1999 के कारगिल युद्ध में इसके आसपास रहने वाले 14 जवान शहीद हो गए थे।

वह जवानों की सेवा करने को गए थे और उन्होंने एक जवान का लिखा हुआ पत्र देखा। उसी समय उन्होंने ठान ली कि उसे में शहीद जवानों के लिए एक पत्र लिखूंगा और उनके परिवार को भेजूंगा। आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि जितेंद्र अब तक 4500 पत्र लिख चुके हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके पास 900 किलो पेपर कटिंग है जिसमें 40000 जवानों की जानकारी है और तस्वीरें भी है। इतना ही नहीं उन्होंने अपने घर में इतने जवानों की तस्वीर का प्रदर्शन किया है कि वह एक संग्रहालय की तरह दिखने लगा है।

अक्सर जवानों के परिजन जितेंद्र या शहीद जवान की खास तस्वीर के लिए पहुंचते हैं। जितेंद्र का कहना है कि उन्हें एक दिन में 35 से 55 कॉल आते हैं। अक्सर इन जवानों के परिवार इन्हें सेना का सदस्य मानते हैं।जितेंद्र की ये देशभक्ति और जज्बा वाकई कमाल का है। अगर देश का हर नागरिक इस तरह से सैनिकों के लिए कुछ न कुछ पहल करने लगे तो निश्चित रूप से उनका मनोबल ऊंचा होगा ।

सेना में भर्ती होने के लिए और लोग आगे आएंगे। वहीं लोग सोशल मीडिया पर जितेंद्र के काम और विचारों की तारीफ भी कर रहे हैं. हम भी जितेंद्र के इस काम और सोच को सलाम करते हैं।उन्होंने आज के दिन भी 4 पत्रों शहीद जवानों के परिवार के लिए लिखे हैं।