बाढ देखकर बुजुर्ग को आया नया आईडिया और बना डाली पानी पर चलने वाली साइकिल

शिक्षा एक ऐसा स्वस्थ रहे जो कभी भी ली जा सकता है और कभी भी चलाया जा सकता है। आज हम जिस बुजुर्ग के बारे…

शिक्षा एक ऐसा स्वस्थ रहे जो कभी भी ली जा सकता है और कभी भी चलाया जा सकता है। आज हम जिस बुजुर्ग के बारे में बात करने वाले हैं उसने भी कुछ ऐसा ही किया है। उस बुजुर्ग ने 61 वर्षीय उम्र में भी एक ऐसा काम किया है जो नौजवान नहीं कर सकता है। शहरों में तो अच्छे स्कूल और अच्छे कॉलेज होते हैं इसलिए उसके बच्चे पढ़ लिख कर आगे निकलते हैं लेकिन गांव के बच्चों आगे नहीं निकल पाते हैं लेकिन यह गांव के बुजुर्ग ने ऐसा कार्य किया है कि जिसे देखकर आपके होश उड़ जाएंगे।

गांव में स्थिति ऐसी होती है कि चार-पांच गांव को छुड़ाकर एक बड़ी स्कूल होती है और सारे बच्चे वहां पढ़ने जाते हैं और 2 गांव के बीच 1 मिनट भी होती ही है उसी को पार कर बच्चों को स्कूल जाना पड़ता है। बारिश के समय वहां पर बाढ़ आ जाती है लेकिन यह बुजुर्ग ने एक ऐसा कार्य किया है कि उसे दिखा आपके होश उड़ जाएंगे।

आजम जिसके बारे में बताने वाले हैं वह बिहार राज्य में रहने वाले एक ऐसे बुजुर्ग आदमी है जिनके जीवन का उद्देश्य गरीब लोगों की मदद करना था। मोहम्मद सेदुल्लाह(Mohammad Sedullah) जो सिर्फ दसवीं पास है उनकी उम्र करीब 61 वर्षीय है। पूरे देश में एक आविष्कार के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने पानी पर चलने वाली एक ऐसी साईकिल का निर्माण कर भारत में इतिहास रच दिया है लोग उनकी खूब तारीफ करते हैं इस साईकिल की मदद से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को बाढ़ से निपटने के लिए खुद मदद की मिलती है।

साल 2005 की बात करें तो इन्वेंशन के लिए उन्हें नेशनल ग्रास रूट इनोवेशन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था अविष्कार से लोहा वर्तमान समय में चारों तरफ घूमने वाला पंखा का आविष्कार करने में लगे हुए हैं। जो बिजली भी बचाती है और ज्यादा हवा देती है।

बिहार में बाढ़ देखकर बना डाली साइकल
45 साल पहले 1975 में बिहार में अधिक वर्षा हुई थी उसके कारण बाढ़ आ गई थी। उसे देखकर इस बुजुर्गों को एक नया विचार आया। फिर उसने एक साइकिल बनाई। उस समय उन्हें ने साइकिल बनाई थी उसका खर्चा ₹6000 हुआ था।

पत्नी के नाम पर किया था आविष्कारों का नाम करण
मोहम्मद जैद उल्लाह ने छह में नूर जहां से शादी की थी उनके तीन बच्चे हैं दो बेटी और एक बेटा है। वह उनकी पत्नी को बहुत प्रेम करते थे इसलिए उन्होंने अविष्कार का नाम उनकी पत्नी के नाम पर रखते हैं जैसे नूर मिनी वॉटर पंप,मोटर साइकल ,नूर इलेक्ट्रिक पावर हाउस ।

साइकिल पंचर का काम भी करते थे
शेड्यूल आविष्कारों के साथ-साथ साइकिल की पंचर लगाने का काम भी करते हैं। मोहम्मद जैद अल्लाह चंपारण गांव में ₹1000 किराए पर एक मकान में रहते थे और वह पंचर लगाने के बाद जो कमाते थे उसमें से अपने घर का भाड़ा देते थे और अपना गुजरान चलाते थे।