दिन प्रतिदिन कोरोना के मामले में पूरे देश में गिरावट आई है। पहली और दूसरी कोरोना की लहर में कई पुत्रों ने अपने पिता को गवाया है और माता को गवाया और कई माता-पिता ने अपने बच्चों को गवाया। और आप सोचते होंगे कि घर के मुखिया की मृत्यु हो जाती है तो घर का क्या होता होगा?
आज हम आप लोगों को ऐसी ही एक सत्य घटना के बारे में बताएंगे। कोरोना के समय में पिता और मृत्यु की मौत हो गई थी। फिर यह घर संभालने में बहुत मुश्किल होने लगी फिर सास और बहू ने बिजनेस करना शुरू किया और कई लोगों ने उसको सराया।
उसका परिवार 130 सालों से या फर्म चला रहा है। वह सुबह जब दुकान पर आते थे उसके पहले ही ग्राहकों की कतार लग जाती है। लोगों का कहना है कि वह इमानदार थे और उसके कर्मचारियों से खूब सरलता से दिन गुजारते थे।
उनके कर्मचारी आज भी उसी लगन से कारोबार संभाल रहे हैं।आज भी उनके कर्मचारी उसकी बातें करते हैं और उसको याद करते हैं। आज के दिन भी सास और बहू राजकोट में उतनी ही लगन से अपना कारोबार संभाल रही है।
यह सास और बहू की दूर-दूर तक चर्चा होने लगी है । यह दोनों जो 1 महीने की कमाई आती है उसमें से थोड़े पैसे गरीब लोगों को दान भी करती है।यह उनका बड़प्पन है। आप लोग भी कभी गुजरात आओ तो राजकोट जरूर जाना और यह सास बहू की दुकान की मुलाकात लेना।