दुनिया भर में कई ऐसे रीती रिवाज हैं जिनके बारे में जानकर हर कोई हैरान हो जायेंगे. भारत भी उन देशों में से एक है। जहां की संस्कृति और परंपराएं सालों से चली आ रही हैं। आज भी कई जगहों पर पुरानी परंपराओं की मान्यताएं मानी जाती हैं। आज हम आपको एक ऐसी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जहां हम एक अनोखी प्रथा का पालन कर रहे हैं।
सदियों पुरानी परंपरा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में मणिकर्ण घाटी के पीनी गांव में भी कुछ ऐसा ही है। जिसमें पत्नी पांच दिन बिना कपड़ों के गांव में रहती है। इन 5 दिनों में पति-पत्नी आपस में बात भी नहीं करते और मजाक भी नहीं करते। इस दौरान गांव का कोई पुरुष शराब भी नहीं पीता। सदियों पुरानी इस प्रथा को लोग आज भी मानते हैं। सब लोग इस परंपरा की कदर भी करते है।
क्यों मनाई जाती है यह परंपरा-जानिए
सातवें महीने के पांच दिनों में पति-पत्नी को एक-दूसरे से दूर रहना पड़ता है और तबाही के कारण इसे अलग तरह से देखा जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान यहां की महिलाएं कपड़े नहीं पहनती, बल्कि ऊन से बना पहाड़ का कपड़ा पहनती हैं। वे वही पहनते हैं जिसे पट्टू कहा जाता है।ये कपडे का नाम है। खबरों और मान्यताओं की मानें तो इस परंपरा के पीछे एक कहानी है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि जब प्रसिद्ध देवता लहुआ घोंड यहां पीनी गांव पहुंचे तो उस समय कुछ राक्षसों ने उन्हें पकड़ लिया था। अगस्त के महीने में भादो संक्रांति को यहां के लोगों का काला महीना भी कहा जाता है। इस दिन लहुआ खोद देवता ने पीनी गांव में पैर रखा और फिर यहां मौजूद राक्षसों का संहार किया। यह प्रथा तब से चली आ रही है। तब से यह प्रथा चली आ रही है।इसलिए गाव के लोग इस मान्यता का पूरी तरह से पालन करते हैं।