आप लोगों ने कई ऐसे मानव सेवा के किस्से सुने होंगे जिसमें लोगो सेवा करने में कोई कसर ही नहीं करते। लेकिन आज हम आपको जो बताने जा रहे हैं वह कुछ अलग ही है। यहां गरीब शिक्षक दूसरे गरीब बच्चों की मदद करने के लिए 8 किलोमीटर चल के आता है और अपने कंधे पर राशन भी लाता है।छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में एक शिक्षक ने सभी लोगों को प्रेरणा दे ऐसा काम किया है।
यहां शिक्षक दोपहर के भोजन का राशन अपने कंधों पर उठाकर 8 किमी दुर्गम पहाड़ी रास्तों और नदी नालों को पार कर स्कूल पहुंचते हैं। इस गुरु जैसे शिक्षकों के इस कार्य की न केवल ग्रामीण बल्कि जिला शिक्षा अधिकारी भी सराहना कर रहे हैं।बलरामपुर जिले के विकास खंड के खड़िया डामर ग्राम पंचायत के उपनगर जो दूर पहाड़ी पर स्थित है। यह कोडकू और नागाशियों द्वारा बसा हुआ है।
गांव लोगों की पहुंच से बाहर है। शिक्षा विभाग द्वारा यहां एक प्राथमिक विद्यालय चलाया जा रहा है ताकि पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों को भी शिक्षा मिल सके। शिक्षक उसके कंधों पर 8 किलोमीटर दूर से राशन लाता है। शिक्षक ने आगे बताया कि वह 8 किलोमीटर दूर से आता है उसके बीच में कहीं खराब रास्ते भी है। उस रास्ते में नदी के नाले है और जंगली जानवर का खतरा है।
बावजूद इसके या शिक्षक पिछले 10 साल से स्कूल में लंच मैनेज करने का खतरा उठा रहा है। साथी शिक्षक ही प्रशासन से गांव की सड़क बनाने की मांग कर रहा है।ग्रामीणों ने कहा कि शिक्षक हर महीने दोपहर के भोजन का राशन अपने कंधों पर लेकर हमारे गांव पहुंचते हैं और बच्चों को पढ़ाई के साथ दोपहर का भोजन भी देते हैं।