थोड़े दिन से आतंकवादी और हमारे जवानों के बीच मुठभेड़ चलती ही रहती है। उस बीच कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा भारतीय सुरक्षा बालों के साथ मुठभेड़ में अमरीकी कवच की गोलियों का इस्तेमाल करने की सूचना मिली है। जानकारी मिली है कि यह गोलियां भारतीय सैनिकों की बुलेट प्रूफ जैकेट को भी तोड़ सकती है। क्योंकि अमेरिका ने गलती से वहां पर वह गोलियां भिजवा दी है इसके लिए बुलेट प्रूफ जैकेट अब सेफ नहीं है।
सूत्रों अनुसार गोलियां अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा बचे हुए उनके हथियारों का हिस्सा थी। लेकिन तालिबान द्वारा सभी महत्वपूर्ण प्रांत और शहरों पर कब्जा करने के कारण तब समय नहीं था कि सभी हथियार लेकर अमेरिकी सैनिकों वहां से भाग सके। इसलिए कुछ हथियार वहां पर ही छूट गए। एन आई द्वारा जानकारी मिली है कि आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों के खिलाफ कवच गोलियों का इस्तेमाल भी किया था। जो कुछ सैनिकों द्वारा पहने गए बुलेट प्रूफ जैकेट को तोड़ने मैं सक्षम थी।
जानकारी के मुताबिक नाटो सैनिकों का भी कुछ हथीयारों का लगेज वहां छूट गया था। उन्होंने कहा कि इस मामले पर सेना के शीर्ष अधिकारियों ने अप्रैल में आयोजित सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान चर्चा की थी। आर्मर-पियर्सिंग बुलेट या स्टील कोर बुलेट एक निश्चित स्तर के जैकेट द्वारा गोलियों के खिलाफ प्रदान की गई सुरक्षा को भंग कर सकती हैं और ऑपरेशन करने वाले सैनिकों के लिए समस्याएं पैदा कर सकती हैं।
श्रीनगर स्थित चिनार कोर के शीर्ष अधिकारी ने एएनआई को बताया, “भारतीय सेना ने भी इन गोलियों से खतरे का मुकाबला करने के लिए आवश्यक उपायों पर करना शुरू कर दिया है। आतंकवादियों ने मुठभेड़ों के दौरान इन गोलियों का इस्तेमाल किया है और उन्होंने कुछ मामलों में जैकेट को तोड़ दिया है।
रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी बलों के पास लगभग 7-8 बिलियन अमरीकी डॉलर के हथियार और उपकरण हैं, जिनमें हेलीकॉप्टर, पैदल सेना के लड़ाकू वाहन, संचार उपकरण और अन्य हथियार शामिल हैं। इसका अधिकांश हिस्सा तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया है जबकि छोटे इस्लामी आतंकवादी संगठनों ने भी इन हथियारों को अपने कब्जे में ले लिया है और उनका इस्तेमाल कर रहे हैं।