सूर्या और संजू के बिना भारत बांग्लादेश से 2-0 से वनडे सीरीज हार चुका है। सूर्यकुमार यादव और संजू सैमसन को बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज में ना चुना जाना क्या बताता है? एक तरफ वह सूर्यकुमार यादव जिसके 10 साल बीसीसीआई ने बर्बाद कर दिए। दूसरी तरफ संजू जिसको एक मौके के लिए भी वर्षों का इंतजार करना पड़ा। आज टीम के अंदर तो कल दूध में पड़ी मक्खी की तरह बाहर…! ऋषभ पंत की निरंतर असफलता के बावजूद उन्हें टीम में मौका दिया गया लेकिन संजू को दुत्कार दिया गया। 2023 वनडे वर्ल्ड कप अब आने ही वाला है और ऐसे में प्लेइंग इलेवन में वही खिलाड़ी जगह बना पाएगा, जो वनडे क्रिकेट में लगातार रनों का अंबार लगाएगा। ऐसे में इन दो खिलाड़ियों को बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज से आराम देने के नाम पर बाहर करना कई सवाल खड़े कर रहा है। क्या बीसीसीआई ने T-20 वर्ल्ड कप 2022 की नाकामी से कोई सबक नहीं सीखा?
कुछ लोग कह रहे हैं कि सूर्या जुलाई से लगातार क्रिकेट खेल रहा है और इसलिए उसे आराम दिया गया है। हकीकत यह है कि सूर्यकुमार यादव जिस फॉर्म में चल रहे हैं, उनके लिए इस वक्त अधिक से अधिक मुकाबले खेलना लाभदायक होगा। सूर्या जितने ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेलेंगे, आईसीसी टूर्नामेंट की उतनी बेहतर तैयारी कर पाएंगे। फिलहाल फॉर्म के आधार पर शिखर धवन और केएल राहुल की वनडे वर्ल्ड कप टीम में जगह नहीं बन रही। विराट कोहली हर हाल में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करेंगे। रोहित बतौर कप्तान और ओपनर टीम का हिस्सा होंगे। शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर की भी दावेदारी मजबूत लग रही है। ऐसे में क्या राहुल को वर्ल्ड कप के मिडिल ऑर्डर में फिट करने के लिए सूर्या को वनडे सीरीज से आराम दिया गया है? सवाल बड़ा है जिसका जवाब ढूंढना पड़ेगा।
बीसीसीआई और चयनकर्ता जानबूझकर सूर्यकुमार यादव को इंडियन टेस्ट टीम में अवसर नहीं दे रहे और अब वनडे टीम से भी बाहर करने की साजिश रची जा रही है। उनको सिर्फ T-20 इंटरनेशनल का बल्लेबाज साबित करने की कोशिश की जा रही है। चयनकर्ताओं को समझना चाहिए कि 2011-12 के अपने पहले रणजी सीजन में 68 की औसत 754 रन जड़ने वाला सूर्या केवल T-20 का खिलाड़ी नहीं है। 2013-14 के रणजी में 529 रन, 2014-15 के रणजी ट्रॉफी में 690 रन और 2015-16 के सीजन में 46 की औसत से 788 रन…! यही नहीं 2016-17 के रणजी ट्रॉफी में धमाकेदार 715 रन…! सूर्यकुमार यादव लगातार वर्षों से घरेलू क्रिकेट में रनों की बारिश करते रहे हैं और ऐसे में उन्हें भारत के लिए तीनों फॉर्मेट खेलने का अवसर मिलना चाहिए। इसकी बजाय उन्हें केवल एक फॉर्मेट में मौका देना सरासर गलत है।
सूर्या की ही तरह संजू सैमसन के साथ भी अन्याय हो रहा है। अगर सूर्यकुमार यादव के बदले केएल राहुल को फिट करने की कोशिश की जा रही है तो सैमसन का हक ऋषभ पंत को दिया जा रहा है। जबकि भारत के लिए वाइट बॉल क्रिकेट में ऋषभ पंत कमजोर कड़ी रहे हैं। पंत भारत के लिए 66 T-20 मुकाबले खेल कर 22 की एवरेज से केवल 987 रन बना सके हैं। इस दौरान उनके बल्ले से केवल 3 अर्धशतक लगे हैं। वनडे क्रिकेट में भी 28 मुकाबले खेल कर पंत ने 35.62 की औसत से केवल 855 रन बनाया है। इसके बावजूद इंडियन टीम मैनेजमेंट में उन्हें लगातार टीम में खेलाया है। जबकि संजू ने केवल 11 वनडे मुकाबलों में 66 की औसत से 330 रन बनाया है। खुद को वनडे क्रिकेट के भरोसेमंद बल्लेबाज के तौर पर दिखाया है। सैमसन की ODI एवरेज पंत की तुलना में कहीं बेहतर है। बांग्लादेश के खिलाफ पंत के ना होने के बावजूद संजू को टीम में नहीं लिया गया। डर था कि वह कहीं बेहतरीन प्रदर्शन न कर दें।
क्या भारतीय क्रिकेट जातिवाद और खेमेबाजी की ओर अग्रसर है? इस सवाल का जवाब बीसीसीआई को देना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि सूर्यकुमार यादव और संजू सैमसन को बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज से क्यों जबरदस्ती आराम दिया गया। वनडे वर्ल्ड कप के पहले महत्वपूर्ण इस सीरीज में क्या सोचकर यह निर्णय लिया गया। अगर जल्दी नहीं सुधरे तो इतिहास खुद को दोहराएगा। भारत 2022 T-20 वर्ल्ड कप की ही तरह 2023 वनडे वर्ल्ड कप भी नहीं जीत पाएगा।