तेजी से बढ़ सकती है इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के दाम, ये है सबसे बड़ी वजह

आने वाले दिनों में आपको कारों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान तक हर चीज के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है, क्योंकि दुनिया की सबसे…

आने वाले दिनों में आपको कारों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान तक हर चीज के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है, क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट चिप बनाने वाली कंपनी अपने चिप्स की कीमत बढ़ाने जा रही है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कंपनी से जुड़े लोगों के हवाले से बताया कि दुनिया की सबसे बड़ी ताइवानी सेमीकंडक्टर निर्माण कंपनी चिप की कीमत में 20 फीसदी की बढ़ोतरी करने जा रही है।

इसका सीधा मतलब यह होगा कि चिप ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल जैसे आवश्यक उपकरणों का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए यदि यह बढ़ता है, तो अंतिम उत्पाद अधिक महंगे होने की संभावना है। इस समय पूरी दुनिया में चिप की किल्लत का रोना रो रहा है।वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट है कि कंपनी की योजना अपने उन्नत चिप्स की कीमत में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने की है। जबकि ऑटो निर्माता उपभोक्ताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले लो-एडवांस्ड चिप्स की कीमत करीब 20 फीसदी तक बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।

हालांकि, कीमतों में बढ़ोतरी इस साल के अंत या नए साल की शुरुआत तक प्रभावी हो सकती है। ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के उत्पादन में आवश्यक चिप्स की कीमत में वृद्धि का सीधा प्रभाव इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं पर पड़ेगा, इसलिए ऐसी वस्तुओं के अधिक महंगे होने की संभावना है।

ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) दुनिया की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट चिप बनाने वाली कंपनी है। कंपनी Apple जैसी अमेरिकी टेक कंपनियों की सप्लायर भी है। कंपनी दुनिया के सबसे छोटे और सबसे उन्नत चिप्स का 90 प्रतिशत आपूर्ति करती है। हालांकि, TSMC ने अभी तक कीमतों में बढ़ोतरी पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

लेकिन अगर आप मौजूदा हालात पर नजर डालें तो पाएंगे कि दुनियाभर में सेमीकंडक्टर चिप्स की कमी से मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार धीमी हो गई है। सेमीकंडक्टर शॉर्टकट वर्तमान में दुनिया भर में हो रहे हैं, जिसका यात्री वाहनों, फोन, टीवी और गेमिंग कंसोल के उत्पादन पर भारी प्रभाव पड़ा है।

ताइवान की सेमीकंडक्टर निर्माण कंपनी ने पिछले महीने एक बयान में कहा था कि कंपनी इस तिमाही तक अपने ऑटो ग्राहकों के लिए चिप की कमी को धीरे-धीरे कम करेगी, लेकिन यह अनुमान लगाया गया है कि सेमीकंडक्टर की कमी अगले साल तक रह सकती है।