पंच महायोग में Mahashivratri- 700 साल बाद आज बना है खास संयोग

कल महाशिवरात्रि(Mahashivratri) है। पंचांग के अनुसार यह दिन महामास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अत्यंत शुभ होता है। जिससे शिव पूजा का महत्व…

कल महाशिवरात्रि(Mahashivratri) है। पंचांग के अनुसार यह दिन महामास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अत्यंत शुभ होता है। जिससे शिव पूजा का महत्व और बढ़ जाएगा। इस बार की शिवरात्रि है बेहद खास, 700 साल बाद ऐसा मौका आया है जब महाशिवरात्रि पर पंच महायोग बन रहा है। इसलिए पूजा के अलावा आज के दिन खरीदारी करना और नए काम शुरू करना भी शुभ रहेगा।

Mahashivratri पर केदार, शंख, शिव पुराण, ज्येष्ठा और सर्वार्थसिद्धि योग मिलकर पंच महायोग बनाते हैं। ऐसा संयोग पिछले 700 सालों में नहीं बना है। इस दिन तेरस और चौदस दोनों तिथियां हैं। शास्त्रों में ऐसे योग को शिव पूजा के लिए बेहद खास बताया गया है। इन ग्रह योगों में नई शुरुआत और खरीदारी फायदेमंद रहेगी।

Mahashivratri क्यों मनाई जाती है?
शिव महापुराण के अनुसार महा मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की मध्यरात्रि को शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने तब पहली बार शिवलिंग की पूजा की। इसलिए Mahashivratri मनाई जाती है।

धार्मिक ग्रंथों में ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव की शक्ति का प्रतीक माना गया है। इसलिए इस दिन रुद्राभिषेक करने का भी महत्व है। यह सुख-समृद्धि, संतान और ऐश्वर्य तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति कराता है। साथ ही ग्रहदोष और रोगों से भी मुक्ति मिलती है। भगवान शिव स्वयं प्रकाश के रूप में विराजमान हैं ऐसी मान्यता धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है और जिन 12 स्थानों पर शिवलिंग होते हैं उन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।

गुजरात में सोमनाथ और नागेश्वर, आंध्र में मल्लिकार्जुन, मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर, उत्तराखंड में केदारनाथ, महाराष्ट्र में भीमाशंकर, घृष्णेश्वर और त्र्यंबकेश्वर, उत्तर प्रदेश में विश्वनाथ, झारखंड में वैद्यनाथ, तमिलनाडु में रामेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव भक्तों की आस्था के केंद्र हैं।