आज हम जिस महिला के बारे में बात करने वाले हैं वह एक मुस्लिम महिला है जिसने लव मैरिज करने के बाद समाज में काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। महिला की अपनी कोई संतान भी नहीं हुई है इस निराशा भरे समय में महिला को एक ऐसा बंधन मिला इसकी उसकी किस्मत को ऐसा सितारा चमक गया कि खुद भी करोड़पति की संपत्ति की मालिक बन गई और संतान प्राप्त हो गया।
वह कहती है कि बंदर ने मेरे हर दुख में साथ दिया है इसलिए मैं उसको इतना मानती हो कि मैं इसके बिना जी नहीं सकती। यह बंदर घर पर मेहमान बन कर आया था लेकिन उसने क्या-क्या कर दिया वह बंदर को भी पता नहीं होगा। यह अजीबोगरीब घटना उत्तर प्रदेश के रायबरेली की है।
दरअसल बात यह है कि शहर के शक्ति नगर मोहल्ले के रहने वाले कवित्री सविता और उनके पति एडवोकेट बृजेश श्रीवास्तव को शादी के कई साल बाद भी संतान की खुशी प्राप्त नहीं हुई थी कहीं ना कहीं उसको मुश्किलें आ रही थी। साल 2005 की बात करें तो एक मदारी एक बंदर को लेकर जा रहा था शबिस्ता ने मदारी को अपने घर बुलाया और यह बंदर की कीमत पूछी और कहा कि मैं उसे रखना चाहती हूं उसके बाद मदारी ने शबिस्ता को यह बंदर बेच दिया और उसका नाम चुनमुन रख दिया फिर वह अपने बेटे की तरह उसका ख्याल रखने लगी और उसकी देखभाल करने लगी।
बंदर ने बदल दी दंपत्ति की किस्मत
बृजेश और सविता के सिर पर 13 लाख से भी ज्यादा रुपए का कर्ज था 4 माह के चुनमुन के घर में कदम पढ़ते ही सभ्यता की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी और बृजेश को भी बहुत ही फायदा होने लगा उनका सार्कोड्स कब खत्म हुआ वह उन दोनों को पता ही नहीं चला शबिस्ता को कवि सम्मेलनों में भी बुलाया जाने लगा और उनकी किताबें भी बाजार में बिकने लगी कवि सम्मेलनों के संचालन से अच्छी आय होने लगी और उन दोनों की किस्मत भी बदलने लगी।
2010 के साल में उसकी शादी भी कर दी
फिर यह दंपत्ति और इसका रिश्ता इतना सुधर गया कि उनका कोई बच्चा नहीं है ऐसा सब कुछ चुनमुन ही है ऐसा सब कुछ सोचकर उन्होंने चुनमुन की शादी भी करवा दी और अशोक यादव की बंदरिया की बेटी यादव से उसका विवाह भी कराया गया फिर चुनमुन के नाम से ट्रस्ट बनाकर वह पशु सेवा करने लगी।
घर में ही बना दिया बंदर का एक मंदिर
2017 को जुम्मन की मौत हो गई थी शबिस्ता ने पूरे विधि विधान के साथ उसका अंतिम संस्कार भी किया और उसकी पैरवी भी की फिर शबिस्ता में चुनमुन की याद में घर में एक मंदिर बनवा दिया मंदिर में श्री राम लक्ष्मण और सीता माता के साथ-साथ चुनमुन की भी प्राण प्रतिष्ठा की मूर्ति लगाई गई।
शबिस्ता का कहना है कि चुनमुन के आने से घर का माहौल ही बदल गया था इसलिए मेरी संपत्ति में जो है मकान है वह मकान में पशु सेवा के लिए चुनमुन के लिए दान करूंगी और मैं ढेर सारा पुण्य भी कमा लूंगी।