प्रत्येक क्षण भगवद्भक्ति में लीन रहनेवाले प्रमुखस्वामी महाराज पराभक्ति के मूर्तिमन्त स्वरूप थे। प्रमुखस्वामी महाराज की सभी गतिविधियाँ आध्यात्मिकता का पर्याय थीं। पूरी तरह से अनासक्त रहते हुए वे सभी कार्यों का श्रेय भगवान को देते थे। भगवान के प्रति आस्था और समर्पण उनकी ऊर्जा का केंद्र था।
कल महोत्सव के तीसरे दिन प्रमुखस्वामी महाराज नगर स्थित संध्या सभा में नारायण सभागृह में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी जिसमें राजकीय, सामाजिक, और औद्योगिक क्षेत्रों के अग्रणी महानुभाव भी सम्मिलित थे। प्रमुखस्वामी महाराज अपार सेवा और लोक कल्याणकारी गतिविधियों के बीच भी निरंतर भगवान का ध्यान करते रहते थे। आज के कार्यक्रम का शुभारंभ पाँच बजे से पारायण पूजन विधि एवं भगवान के नाम-स्मरण-धुन, कीर्तन के साथ हुआ। BAPS संगठन के विद्वान संत पूज्य आदर्शजीवन स्वामी ने अपने वक्तव्य के माध्यम से प्रमुखस्वामी महाराज के निरंतर भगवद्मय रहने की स्थिति का दर्शन कराया।
शाम के कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य महानुभाव:
- त्रिदंडी चिन्ना श्रीमन्नारायण रामानुज जीयर स्वामी, संस्थापक: जीयर इंटीग्रेटेड वैदिक एकेडमी (JIVA)
- अनंत गोयन्का, कार्यकारी निदेशक, इंडियन एक्सप्रेस समूह
- परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय मंत्री
- सुधीर नाणावटी, अध्यक्ष, गुजरात लॉ सोसायटी विश्वविद्यालय
- सुरेश शेलत, पूर्व महाधिवक्ता, (गुजरात सरकार)
- डॉ. जे रामेश्वर राव, संस्थापक अध्यक्ष – मी होम ग्रुप (टीवी 9)
- कल्पेश सोलंकी, समूह प्रबंध संपादक – एशियन मीडिया ग्रुप (गरवी गुजरात)
- सीए डॉ. गिरीश आहूजा, कर विशेषज्ञ और शिक्षाविद्
जब मुझे प्रमुखस्वामी महाराज शताब्दी महोत्सव में आमंत्रित किया गया था, तो मैं इस महोत्सव से परिचित नहीं था, लेकिन उपाध्यक्ष अनिकेत तलाटी ने जोर देकर कहा कि मुझे इस समारोह में भाग लेना चाहिए और प्रमुखस्वामी महाराज के बारे में जानना चाहिए।
उन्होंने जिन मूल्यों को प्रतिष्ठत किया और लोगों के जीवन को परिवर्तित किया। जब से मैं यहां आया हूं मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं भगवान के धाम पहुंच गया हूं। मैं प्रमुखस्वामी महाराज के जीवन मूल्यों को आईसीएआई के सिद्धांतों के साथ जोड़कर उनसे प्रेरणा ले रहा हूँ।
सीए बिशन शाह अध्यक्ष आईसीएआई अहमदाबाद
“मुझे लगा कि प्रमुखस्वामी महाराज हमारे साथ हैं। रचनात्मकता, नेतृत्व और सुख का मूल आध्यात्मिकता है। आध्यात्मिक ज्ञान ही मनुष्य को महान बनाता है। मैं प्रमुखस्वामी महाराज, महंतस्वामी महाराज, संतों और सभी सत्संगियों का ऋणी हूं।