ऑटो ड्राइवर की बेटी बनी 10वीं टॉपर… मुसीबत में मां धोती थी दूसरे के कपड़े, जानिए सफलता की कहानी

यदि आपमें कुछ करने की इच्छा है, तो साधनों की कमी या कोई भी परिस्थिति आड़े नहीं आ सकती है। ऐसी ही कहानी है राजधानी…

यदि आपमें कुछ करने की इच्छा है, तो साधनों की कमी या कोई भी परिस्थिति आड़े नहीं आ सकती है। ऐसी ही कहानी है राजधानी जयपुर(Capital Jaipur) के एक ऑटो चालक की बेटी सुहानी शकरवाल(suhani shakarwal) की। पिछले साल जून 2022 में घोषित 10 वीं कक्षा के नतीजे में सुहानी ने 96 फीसदी अंक हासिल कर अपने परिवार और स्कूल का नाम रौशन किया था. शिक्षा के क्षेत्र में चमकता सितारा, गरीबी में पली-बढ़ी यह लड़की संसाधनों के अभाव में संघर्ष कर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है।

जानकारी के अनुसार राजेश शकरवाल(Rajesh Shekarwal) जयपुर में ऑटो चलाता है। दलित और बीपीएल परिवार की 15 वर्षीय बेटी सुहानी जयपुर के सी-स्कीम के केसीजे श्री गुजराती समाज हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ती है। सुहानी के माता-पिता दोनों ही अशिक्षित हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत खराब है। सुहानी ने बताया कि रोज 5-6 घंटे पढ़ाई करने से उन्हें यह सफलता मिली है। उसके पास अपना मोबाइल भी नहीं था। सुहानी ने अपनी पढ़ाई में आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए अपनी मां के मोबाइल का इस्तेमाल किया। कोविड काल में ऑनलाइन पढ़ाई की।

लेकिन उसने कभी अपनी मां के मोबाइल का गलत इस्तेमाल नहीं किया। सुहानी के मुताबिक, उनके चाचा का बेटा चार्टर्ड अकाउंटेंट है। वह इससे प्रेरित हैं। सुहानी का कहना है कि उनका सपना सीए क्लियर करना है ताकि वह अपने हाथों में प्रोफेशनल डिग्री हासिल कर सकें। उसके बाद वह सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईएएस बनना चाहता है। सुहानी का परिवार जयपुर में सी-स्कीम के विनोबा नगर बस्ती में रहता है। कम उम्र में ही सुहानी के पिता राजेश के कंधों पर जिम्मेदारियां आ गई थीं। पिता की मृत्यु के कारण परिवार का पालन-पोषण करना पड़ा। राजेश ने 17-18 साल की उम्र में पिंकी से शादी की थी।

समय के साथ बदल चुके राजेश का कहना है कि वह अपनी बेटी की शादी तभी करेंगे जब वह कुछ मुकाम हासिल कर अपने पैरों पर खड़ी होगी। कोरोना काल में सुहानी के परिवार ने वह वक्त भी देखा जब उनकी मां को दूसरे लोगों के कपड़े धोकर ही अपनी गृहस्थी चलानी पड़ी। पारिवारिक संघर्ष ने सुहानी को प्रेरित किया और उन्होंने खुद को पूरी तरह से अपनी पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया। एक तरफ वह दिन-रात पढ़ाई में लगी रहती थी। साथ ही जरूरत पड़ने पर घर के कामों में मां का साथ देती। होनहार सुहानी की इस उपलब्धि पर माता-पिता ने खुशी जाहिर की और इसे अपनी बेटी की मेहनत का नतीजा बताया.