दोस्तों हम सभी जानते हैं कि हनुमान दादा का प्रसिद्ध मंदिर सालंगपुर में स्थित है जहां सभी लोगों के कष्ट दूर होते हैं। सालंगपुर गांव बोटाद जिले में स्थित है जहां काष्टभंजन हनुमानजी की एक मूर्ति है जिसे स्वामीनारायण संत गोपालानंद स्वामी ने विक्रम सावंत 1905 में स्थापित किया था।
मंदिर में 25 फीट चौड़ा सभामंडप भी है जो संगमरमर के पत्थर से जड़ा हुआ है। जिस कमरे में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है उसका दरवाजा चांदी का बना है। सालंगपुर हनुमानजी के मंदिर का पूरे भारतवर्ष में बहुत महत्व है। दोस्तों आज के इस लेख में हम कलियुग के साक्षात देव हनुमानजी के इस अति प्रसिद्ध धाम के बारे में जानेंगे। इस अद्भुत और चमत्कारी मंदिर की स्थापना भगवान स्वामीनारायण के अनुयायी गोपालानंद स्वामी ने की थी। एक बार जब गोपालानंद स्वामी बोटाद आए, तो सालंगपुर के दरबार के वाघा खाचर बोटाद उनसे मिलने आए।
स्वामी ने वाघा खाचर से पूछा, “क्या सब ठीक है?” वाघा खाचर ने तब जवाब दिया कि चार साल से आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इस अकाल के बारे में सुनकर स्वामी जी का हृदय द्रवित हो गया और उन्होंने वाघा खाचर से कहा कि आपकी सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
मैं सालंगपुर में हनुमानजी की एक मूर्ति स्थापित करूंगा जो सभी प्रकार के कष्टों को दूर कर देगी ताकि आपके सभी कष्ट हमेशा के लिए दूर हो जाएं और साथ ही उनके दर्शन करने वाले प्रत्येक भक्त के कष्ट भी दूर हो जाएं। तब स्वामीजी ने अपने हाथों से एक सुंदर चित्र बनाया और मूर्तिकार से इस चित्र के अनुसार एक बहुत ही सुंदर मूर्ति बनाने को कहा।
फिर विक्रम सावंत 1905 में असो वद पंचमी के दिन एक बहुत ही सुंदर मंदिर बनाया गया और उसमें औपचारिक रूप से हनुमानजी की मूर्ति स्थापित की गई। तब स्वामी जी ने कहा कि आप अपने यहां आने वालों का दुख दूर करके विश्व के सभी भक्तों को सुखी रखें।
इसके अलावा, उसी घटना को दर्शाती एक मूर्ति जिसे हनुमानजी ने स्त्री रूप में शनिदेव को अपने पैरों के नीचे दबाया था, सालंगपुर मंदिर में विराजमान है। श्री काष्टभंजन हनुमानजी दादा भूत-प्रेत से पीड़ित सभी लोगों के भी दुख-दर्द दूर करते हैं।