महाराष्ट्र में इस साल अब तक लू लगने से 25 लोगों की जान जा चुकी है. जो पिछले 6 साल में सबसे ज्यादा मौत का अंक है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अकेले मार्च और अप्रैल में लू के 374 से ज्यादा मामले सामने आए। हालांकि जानकारों का मानना है कि वास्तविक आंकड़ा इससे ज्यादा हो सकता है।
लू लगने से सबसे ज्यादा मौत विदर्भ क्षेत्र में हुई हैं। जहां भीषण गर्मी से 15 लोगों की मौत हो गई है. विदर्भ के नागपुर में 11, अकोला में 3 और अमरावती में 1 मौत हुई है। इसके अलावा मराठवाड़ा में 6 और उत्तरी महाराष्ट्र के जलगांव में 4 मौतें हुई हैं। मराठवाड़ा के जालना में 2 मौतें, जबकि औरंगाबाद, हिंगोली, उस्मानाबाद और परभणी में 1-1 की मौत। नागपुर संभाग में सबसे ज्यादा 295 हीट स्ट्रोक के मामले हैं।
नागपुर समेत विदर्भ के कुछ हिस्सों में पारा 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है. अप्रैल के महीने में, चंद्रपुर को दुनिया के 5वें सबसे गर्म शहर के रूप में नामित किया गया था। चंद्रपुर में पारा 46.4 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में खासकर चंद्रपुर, अकोला, यवतमाल, वर्धा, ब्रह्मपुरी, अमरावती में पारा 45 डिग्री सेल्सियस के ऊपर पहुंच गया है.
बता दे की उत्तरी महाराष्ट्र, मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में भी तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। अप्रैल में महाराष्ट्र के अधिकांश जिलों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया। पिछले दो वर्षों में महाराष्ट्र में हीट स्ट्रोक के कारण कोई आधिकारिक मौत नहीं हुई है। साल 2019 में लू लगने से 9 लोगों की मौत हुई थी।
बढ़ती गर्मी ने सरकार की चिंता भी बढ़ा दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को पत्र लिखा है। जिसमें आईडीएसपी की दैनिक रिपोर्ट एनसीडीसी को भेजने का आदेश दिया गया है। फिलहाल हवामान विभाग ने अगले 3-4 दिनों तक हिटवेव में बदलाव नहीं आने का अनुमान जताया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों को लू से निपटने के लिए उचित इंतजाम करने के साथ ही लू से पीड़ित मरीजों को तत्काल इलाज कराने का निर्देश दिया है.