इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। कुछ लोग जो ईश्वर को मानते हैं और कुछ लोग जो ईश्वर को नहीं मानते। जो ईश्वर को नहीं मानते वह लोग नास्तिक कहलाते हैं। जो लोग भगवान को मानते हैं वह लोग भगवान की पूजा करने में विश्वास करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि अगर सच्चे मन से भगवान की पूजा की जाए तो भगवान बहुत मीठा फल देते हैं और मनोवांछित फल देते हैं।लेकिन हम लोग में से ज्यादातर लोग ऐसे हैं कि जो भगवान की पूजा करते समय कई गलतियां कर बैठते हैं। क्या आप भी उसमें शामिल नहीं है ना?
ऐसे में उनके द्वारा की गई पूजा से उसे कोई लाभ नहीं होता और केवल यही कहता है कि पूजाऔर भक्ति व्यर्थ है। नारद पुराण भगवान विष्णु को समर्पित ग्रंथ है।जिसमें भगवान विष्णु की पूजा करने का तरीका और महत्व बताया गया है। यदि आप उस तरीके से पूजा नहीं करते हैं तो आपकी पूजा व्यर्थ मानी जाती है।
पुराणों में 4 नियम बताए गए हैं कि उनके द्वारा भगवान की पूजा करने से उस पूजा का मनोवांछित लाभ मिलता है। आज हम आपको वहीं नियम बताने जा रहे हैं।
कुछ पाने की इच्छा से भगवान की पूजा करें लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता देते कि भगवान को किसी भी तरह का लालच पसंद नहीं है। इसलिए आपकी पूजा सही मायने में तभी मानी जाएगी जब उस पूजा में कोई लालच या स्वार्थ छिपा ना हो।
स्वार्थ से की गई पूजा किसी काम की नहीं होती। कई लोगों को मृत्यु या कोई अन्य बीमारी या दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है। ऐसे में वह डर होता है कि भगवान की पूजा करने लगते हैं। इस प्रकार की पूजा और उपासना को हम स्वार्थी उपासना कह सकते हैं ऐसे में भगवान नाराज होते हैं।