गरुड़ पुराण के अनुसार फूल 28 प्रकार के नरक होते है। कुछ अन्य शास्त्रों में 36 प्रकार के नरको का वर्णन मिलता है। विष्णु पुराण में अनेक प्रकार के नर्क गुंडों का भी वर्णन किया गया है। कहा जाता है मनुष्य जैसे कर्म करता है उसे वही फल प्राप्त होता है। अपने कर्मों के अनुसार ही व्यक्ति को नरक एवं स्वर्ग में जगह प्राप्त होती है।
शास्त्रों में कहा गया है जैसे मति वैसी गति वैसा नरक। हर कोई चाहता है कि उसे मृत्यु के बाद नर्क नहीं स्वर्ग ही मिले। तो आइए जानते हैं कि शास्त्रों में नर्क से छुटकारा पाने के लिए किन कार्यों को करना उचित माना गया है।
धार्मिक शास्त्र के अनुसार मृत से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को वेदों का पालन करना चाहिए। जितना हो सके अपने जीवन में वेद पत्थर प्रार्थना और ध्यान करना चाहिए। जितना हो सके अपना जीवन में वेद पठन प्रार्थना और ध्यान करना चाहिए। उसके अलावा श्री हरि विष्णु या श्री कृष्ण के मंत्रों का अधिकतर जाप करना चाहिए। ज्योतिष विधानो के अनुसार ओम नमो नारायण मंत्र, गायत्री मंत्र तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप व्यक्ति को हर तरह के नरक से मुक्ति दिलवा सकता है।
जो व्यक्ति अपने जीवन में एक पिपल,एक नीम,दस इमली तीन कैथ,तीन बैल,तीन आंवला ओर आम के वृक्ष लगाता है, वह व्यक्ति नरक के दर्शन नहीं करता। उसके अलावा अपने जीवन में बरगद, अनार, कड़ी पत्ता, जामफल, तुलसी, नींबू, अशोक, चमेली एवं चंपा का वृक्ष लगाने वाला व्यक्ति पर हमेशा निरोगी रहता है, उसके जीवन में धन समृद्धि और शांति रहती है और मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग में जगह मिलती है।
उसके अलावा नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण, हनुमान जी और देवी कालिका की पूजा करने से भी नर्क से छुटकारा मिलता है। उसके अलावा स्वर्ग की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को अपने जीवन में अधिकतर एकादशी व्रत एवं शिव चतुर्दशी का व्रत करना चाहिए।