Ram Mandir Roof Leaking: करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र श्रीराम मंदिर को लेकर मुख्य पुजारी ने गंभीर दावा किया है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने खुलासा किया है कि पहली बारिश में ही मंदिर की छत से पानी टपकना शुरू हो गया है. सुबह जब पुजारी भगवान की पूजा करने वहां गए तो उन्होंने देखा कि फर्श पर पानी भरा हुआ है, जिसे काफी मशक्कत के बाद मंदिर(Ram Mandir Roof Leaking) परिसर से निकाला गया। मंदिर से पानी निकालने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।
2025 तक मंदिर निर्माण असंभव: मुख्य पुजारी
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में सत्येन्द्र दास ने कहा, ‘2025 तक मंदिर का निर्माण असंभव है, लेकिन अगर ऐसा कहा जा रहा है तो मैं इसे स्वीकार करता हूं। जहां रामलला विराजमान हैं, वहां पहले ही बारिश में पानी टपकने लगा था. इसकी जांच होनी चाहिए. मंदिर में पानी से बचने का कोई रास्ता नहीं है और ऊपर से पानी टपकता है। यह समस्या बहुत बड़ी है और इसका समाधान होना ही चाहिए.’
मुख्य पुजारी ने उठाया सवाल
उन्होंने बताया कि मंदिर में रामलला के विग्रह के ठीक सामने पुजारी के बैठने की जगह और वीआईपी दर्शन के लिए आने वाले लोगों के स्थान पर छत से बारिश का पानी तेजी से टपकने लगा। बारिश के पानी को निकालने के लिए मंदिर के पदाधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। दास ने संवाददाताओं से कहा, ”बहुत आश्चर्य की बात है कि पूरे देश के ऐसे-ऐसे इंजीनियर यहां आकर राम मंदिर बना रहे हैं। पिछली 22 जनवरी को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो गई लेकिन यह किसी को ज्ञान नहीं रहा कि पानी बरसेगा तो छत टपकेगी।
मंदिर निर्माण कार्य में लापरवाही बरतने का आरोप
मुख्य पुजारी ने कहा कि जो विश्व प्रसिद्ध मंदिर बन रहा हो उसके अंदर छत टपके, यह आश्चर्य की बात है। ऐसा क्यों हुआ? इतने बड़े इंजीनियरों के रहते ऐसी घटना हो रही है, जो बहुत गलत है। उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर निर्माण कार्य में लापरवाही बरती गई है। छत से पानी टपकने की घटना की सूचना शीर्ष अधिकारियों को दिए जाने के बाद मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र मंदिर पहुंचे और छतों की मरम्मत तथा ”वाटर प्रूफिंग” के निर्देश दिए।
मंदिर निर्माण में कोई खामी नहीं
निर्माण समिति ने कहा कि मंदिर निर्माण समिति करोड़ों रामभक्तों को आश्वस्त करना चाहती है कि मंदिर निर्माण में कोई खामी नहीं है और न ही कोई लापरवाही बरती गई है। हां यह संभव है कि मंदिर के द्वितीय तल पर गूढ़ मंडप का निर्माण अभी चल रहा है और उसका शिखर पूरी तरह से निर्मित न होने तक पानी की कुछ छींटे भूतल तक आ गई होंगी, लेकिन पानी टपकने की बात गलत है। गर्भगृह में जलनिकासी की व्यवस्था न होने पर भी मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष की सफाई सामने आई।उन्होंने कहा, भक्तों को भगवान तक जल लेकर जाने की अनुमति ही नहीं है। गर्भगृह में जब भगवान का अभिषेक, स्नान और आचमन होता है, तो पुजारी उसे कपड़े से साफ करते रहते हैं और वहां विग्रह के पास ढाल भी बनाया गया है, ताकि जल को वहीं पर पोछ दिया जाए। सोमवार को ही मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक के समापन अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक अन्य सदस्य डा. अनिल मिश्र ने भी इस बारे में राय रखी।