जब भी दूध की बात होती है तो आपके दिमाग में सबसे पहले नाम आता है अमूल (Amul). 78 साल पहले शुरू हुई यह कंपनी रोजाना अपने उत्पादों से 100 करोड़ से ज्यादा लोगों को सेवा देती है। आपको हैरानी होगी कि इस कंपनी में अंबानी, टाटा और अडानी जैसी बड़ी कंपनियों से भी ज्यादा लोग काम करते हैं। एक बार फिर यह कंपनी चर्चा में है। चर्चा में इसलिए क्योंकि अचानक 12 साल बाद कंपनी के एमडी आरएस सोढ़ी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह इस जिम्मेदारी को जेयन मेहता संभालेंगे। अमूल के इस बदलाव के बीच आज हम आपको इसकी पूरी कहानी बता रहे हैं।
76 साल पहले शुरू हुआ
आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (अमूल) की शुरुआत 76 साल पहले गुजरात में हुई थी। 28 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर, वर्गीज कुरियन ने गुजरात के आणंद में एक कंपनी शुरू करने के लिए अपनी आकर्षक नौकरी छोड़ दी। जब यह कंपनी शुरू हुई तो किसानों से रोजाना 247 लीटर दूध लिया जाता था। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज 76 साल बाद अमूल हर दिन 2.50 करोड़ लीटर दूध इकट्ठा करता है। आज भारत में 100 करोड़ लोग दैनिक आधार पर अमूल के किसी न किसी उत्पाद का उपयोग करते हैं।
आपको सुनकर हैरानी होगीं, लेकिन रोजगार के मामले में अमूल देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों को भी पछाड़ रही है। रोजगार देने के मामले में अमूल रिलायंस, अडानी, अंबानी, टाटा ग्रुप को पछाड़ रही है। अडानी करीब 2 लाख लोगों को रोजगार दे रहा है। वहीं, टाटा समूह के कर्मचारियों की कुल संख्या 8 लाख के करीब है। रिलायंस में 3 से 4 लाख लोग काम करते हैं। वहीं अमूल में 15 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। अमूल मैन्युफैक्चरिंग, प्लांट वर्कर्स, ट्रांसपोर्ट, मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और सेल्स में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित कर रहा है। अमूल से 35 लाख से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं। कंपनी के 87 प्लांट हैं, जो डेयरी उत्पाद, मिठाई आदि बनाते हैं।
गुजरात के एक गांव से शुरू होकर किसान, चरवाहे, पशुपालन, महिलाएं इस धंधे से जुड़ गए। कंपनी के एमडी आरएस सोढ़ी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि उनका मकसद गांव के किसानों और पशुपालन को अर्थव्यवस्था से जोड़ना है. अमूल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे रहा है। अमूल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में दैनिक आधार पर लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देता है। अमूल का दावा है कि यह एक सहकारी संस्था है जो अपनी कमाई का 80 फीसदी किसानों को देती है। अमूल ने स्थिर आर्थिक विकास बनाए रखा। साल 1994-95 में जहां इसका टर्नओवर 1114 करोड़ रुपये था, वहीं साल 2020-21 में यह 39248 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। अमूल और उसके 18 जिला सहकारी दुग्ध उत्पादकों का कुल कारोबार 53 हजार करोड़ रुपए पहुंच गया है।