अगले हफ्ते एक बार फिर कर्ज का बोझ बढ़ सकता है। अमेरिकी ब्रोकरेज एजेंसी का कहना है कि रिजर्व बैंक (RBI) की प्रस्तावित बैठक में रेपो रेट और बढ़ सकता है. पॉलिसी रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की उम्मीद है। अगर बढ़ोतरी हुई तो सभी तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे।
बोफा सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट
एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक बोफा सिक्योरिटीज ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें मौजूदा हालात को देखते हुए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति 5 अगस्त को होने वाली बैठक में रेट बढ़ाने का फैसला ले सकती है. और इसका सीधा असर कर्जदारों पर पड़ेगा। क्योंकि सभी तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे और ईएमआई में भारी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
इस प्रतिशत तक पहुंच जाएगा रेपो रेट
अगर आरबीआई भी रेपो रेट को 0.35% बढ़ाने का फैसला करता है, तो ये दरें बढ़कर 5.25% हो जाएंगी। हालांकि, आरबीआई ने लगातार दो महीनों में रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है और अब यह 4.90 फीसदी होगी। इससे पहले मई 2022 में, रिजर्व बैंक ने जून में एमपीसी की बैठक में नीतिगत दरों में 40 बीपीएस की वृद्धि की थी और फिर दरों में 50 बीपीएस की वृद्धि की थी।
उस समय आरबीआई ने रेपो रेट को 4.40 फीसदी से बढ़ाकर 4.90 फीसदी कर दिया था।गवर्नर शक्तिकांत दास ने आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक के बाद यह घोषणा की। यानी एक महीने में रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी हुई। आरबीआई के इस फैसले के बाद कार लोन से लेकर एजुकेशन लोन तक का होम लोन महंगा होना तय था। वहीं, जिन लोगों ने पहले ही होम लोन ले लिया है, उनके लिए ईएमआई ज्यादा महंगी होगी।
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। जबकि रिवर्स रेपो रेट से तात्पर्य उस दर से है जिस पर बैंक आरबीआई का पैसा रखने पर ब्याज देते हैं। रेपो रेट कम होने पर ईएमआई घटती है और बढ़ने पर ईएमआई बढ़ जाती है