सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि केवल संदेह के आधार पर किसी व्यक्ति को दोषी साबित नहीं किया जा सकता है। यह फैसला गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के दौरान आया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी को बरी कर दिया। और फैसले में कहा गया कि संदेह कितना भी मजबूत क्यों न हो, किसी को भी केवल संदेह के आधार पर दंडित नहीं किया जा सकता है।
आरोपी को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक…
जस्टिस बीआर गवी और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि आरोपी को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक कि उसके खिलाफ आरोप उचित संदेह से परे साबित नहीं हो जाते।
पीठ ने कहा कि, यह स्थापित कानून है कि संदेह कितना भी मजबूत क्यों न हो, सबूत से संदेह पर भारी नहीं पड़ता। जब सबूत के आधार पर इसे साबित नहीं किया जा सकता तो उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मौजूदा मामले में विरोधी पक्ष घटनाओं की श्रृंखला को साबित करने में विफल रहा है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील पर सुनवाई कर रहा था। उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को आईपीसी 1860 की धारा 302, जिसका अर्थ है हत्या, और धारा 201, जिसका अर्थ है सबूत नष्ट करना, के तहत दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई।