कहा जाता है कि अगर इंसान सच में कुछ चाहता है तो उसे मिलता ही रहता है और जब बचपन और कोमल मन की बात आती है तो उस समय बच्चे के मन में जो उम्मीद बनती है वह उसके मन में अटक जाती है। तो वह इस सपने को पूरा करने के लिए अपनी जान दे देता है। ये कहानी भी एक ऐसी लड़की की है जिसने एक पुलिस वाले को वर्दी पहने हुए देखा था जब वह केवल 8 साल की थी और उसने मन में ठान लिया कि एक दिन वह भी ऐसी वर्दी पहनेगी,
अपने सपने को कभी नहीं भूलेगी और आज 18 साल बाद वह सपना आया सच है बाड़मेर के हेमलता का आगमन। जो वर्तमान में सब इंस्पेक्टर हेमलता जाखड़(Hemlata Jakhar) के नाम से जानी जाती हैं तो आइए आपको बताते हैं उनका सफर….
हर बार लोग अपने बचपन के सपनों को मजाक ही समझते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ थानेदार हेमलता के साथ। उसके परिवार ने महज 17 साल की उम्र में उसकी शादी कर दी और वह 21 साल की उम्र में मां बन गई। हालांकि मां बनने के बाद भी उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए काफी मेहनत की।
पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बनीं, एक बच्ची को पालने के साथ-साथ ग्रेजुएशन भी पूरा किया। करीब 8 साल तक सिर्फ 3500 रुपए में काम किया। लोगों से कर्ज लेकर पढ़ाई की। रिश्तेदारों के ताने सुने। घरवाले और ससुराल वाले उसे चारदीवारी में कैद करना चाहते थे, लेकिन हेमलता को जिस वर्दी से महज 8 साल की उम्र में प्यार हो गया, वह 18 साल बाद ही उन्हें मिल सकी.
पुलिस की वर्दी में अपने गांव पहुंची हेमलता जाखड़ को देख सभी खुश हुए, भाइयों ने उन्हें अपने कंधों पर उठाकर गांव का चक्कर लगाया. हेमलता के लिए सबसे खास पल था जब वह अपने गांव पहुंचे तो महिलाओं ने मंगल गीत गाकर उनका स्वागत किया. एक किसान पिता ने अपनी बेटी को पगड़ी पहनाई, जबकि एक पुलिस अधिकारी की बेटी ने अपनी माँ को पुलिस की टोपी पहनाई।
मीडिया से बात करते हुए एसएचओ हेमलता ने कहा कि वह एक किसान परिवार की बेटी है. जीवन में उतार-चढ़ाव देखा है। मैं अपने परिवार की पहली लड़की भी हूं जिसे मेरी पहली सरकारी नौकरी मिली है।
सरनू चिमनजी गांव दुर्गाराम जाखड़ में जन्मी हेमलता जाखड़ का चयन सात जुलाई 2021 को उपनिरीक्षक पद पर हुआ था। इसके बाद उन्होंने 9 जुलाई को राजस्थान पुलिस अकादमी जयपुर ज्वाइन किया।