दिल्ली के dycm मनीष सिसोदिया ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया है. सिसोदिया ने कहा कि, उन्हें भाजपा की ओर से एक प्रस्ताव मिला है। दिल्ली के डिप्टी सीएम ने दावा किया है कि बीजेपी ने उन्हें आम आदमी पार्टी को तोड़ने के लिए सीबीआई और ईडी के सभी मामलों को बंद करने की पेशकश की है।
सिसोदिया ने किया ट्वीट
मनीष सिसोदिया ने आज सुबह एक ट्वीट कर तहलका मचा दिया है. उन्होंने लिखा कि ‘मुझे बीजेपी का संदेश मिला है, अलग हो जाओ और बीजेपी में शामिल हो जाओ, हम सीबीआई ईडी के सभी मामले बंद कर देंगे.’ फिर उन्होंने लिखा कि ‘भाजपा को मेरा जवाब- मैं एक राजपूत महाराणा प्रताप का वंशज हूं। मैं अपना सिर काट दूंगा लेकिन मैं भ्रष्ट-षड्यंत्रकारियों के आगे नहीं झुकूंगा। मेरे खिलाफ सभी मामले झूठे हैं। जो तुम्हें करना है वो करो।’
मेरे पास भाजपा का संदेश आया है- “आप” तोड़कर भाजपा में आ जाओ, सारे CBI ED के केस बंद करवा देंगे
मेरा भाजपा को जवाब- मैं महाराणा प्रताप का वंशज हूँ, राजपूत हूँ। सर कटा लूँगा लेकिन भ्रष्टाचारियो-षड्यंत्रकारियोंके सामने झुकूँगा नहीं। मेरे ख़िलाफ़ सारे केस झूठे हैं।जो करना है कर लो
— Manish Sisodia (@msisodia) August 22, 2022
सिसोदिया को बीजेपी नेता का जवाब
इन सबके बीच बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर मनीष सिसोदिया को जवाब दिया कि ‘मैंने जीवन भर औरंगजेब की पूजा की और जब चोरी और रिश्वत के आरोप में जेल जाने का समय आया तो मुझे महाराणा प्रताप की याद आ गई. मीडिया और राजनीतिक हलकों में हर कोई जानता है कि आपने केस माफ कराने और बीजेपी में शामिल होने के लिए कितना कुछ किया है. हर भ्रष्ट व्यक्ति, चोर, रिश्वत लेने वाला, पकड़े जाने पर इस तरह गुर्राता है।’
ज़िंदगी भर औरंगज़ेब की इबादत की और चोरी और रिश्वतख़ोरी में जेल जाने का समय आया तो महाराणा प्रताप याद आ गए
केस माफ़ कराने और BJP में आने के लिए आपने कितने पापड़ बेलें है ये मीडिया और पोलिटिकल सर्कल में सबको पता है
पकड़े जाने पर हर भ्रष्ट , चोर, रिश्वतखोर ऐसे ही बिलबिलाता है https://t.co/50cyNnVdZ6
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) August 22, 2022
कांग्रेस ने की इस्तीफे की मांग
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने सीएम अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह डरे हुए हैं क्योंकि घोटाले की जड़ें उनके दरवाजे तक जाती हैं। उधर, कांग्रेस ने भी मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि मुद्दा आबकारी नीति का है और शिक्षा नीति की बहस की आड़ में इसे ‘छिपाने’ की कोशिश को रोका जाना चाहिए.