हमारे देश में महिलाएं पुरुषों से कम नहीं है। आज हर एक क्षेत्र में महिला आगे निकल चुकी है। आज हम आपको पांच ऐसी महिलाएं की कहानी बताने वाले हैं कि वह हर एक मुश्किल का सामना करके आ गया ही है। जिन्होंने यूपीएससी(UPSC) में सफलता हासिल करने के लिए बहुत मेहनत की है।
स्टेट टॉपर श्वेता अग्रवाल
श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal)ऑल इंडिया मे 19 का रैक हासिल किया है। श्वेता अग्रवाल का जन्म पश्चिम बंगाल के एक रूढ़िवादी मारवाड़ी परिवार में हुआ था। श्वेता अग्रवाल के माता-पिता के अलावा उसके परिवार में किसी ने भी उन्हें सपने देखने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया था। घर में 15 बच्चों के बीच श्वेता सबसे छोटी थी इसके बावजूद वह ग्रेजुएशन करने वाली कार की पहली लड़की थी। उनके 14 भाई और बहनों में से किसी ने भी पढ़ाई नहीं की है। श्वेता अग्रवाल ने ऑल इंडिया रैंक में 19 नंबर हासिल किया है। इससे पहले यूपीएससी की परीक्षा दो बार दे चुकी थी। लेकिन तीसरी बार में उसने सफलता हासिल कर ली।
ऑल इंडिया रैंक में आगे पूवीथा सुब्रमण्यन
पूवीथा सुब्रमण्यन (Pooveetha Subramanian)तमिल नाडु के एक डेरी किसान की बेटी है। पूवीथा सुब्रमण्यन उसके परिवार की पहेली ग्रेजुएट थी।पूवीथा सुब्रमण्यन ने जातिगत भेदभाव,दहेज व लैंगिक और असमानता जैसी बुराइयों को बेहद करीब से देखा है। यूपीएससी की परीक्षा पास करने से पहले पूवीथा सुब्रमण्यन के माता पिता उनकी शादी करवाना चाहते थे लेकिन पूवीथा ने मनाया।
ऑल इंडिया रैंक 50 हासिल किया सुरभि गौतम ने
सुरभि गौतम(Surbhi Gautam)ने बताया कि मेरे लिए अंग्रेजी काफी मुश्किल विषय रहा। इसे सुधारने में उन्होंने दोगुनी मेहनत की और 2015 में यूपीएससी क्लियर कर लिया। सुरभि गौतम ने बताया कि मैं चाहती थी कि मेरे गांव में अच्छी चिकित्सा सेवाएं, घर- घर में बिजली और तत्कालिक बुनियादी सुविधाएं हो जिसके लिए मैंने कलेक्टर बनने का सफर शुरू किया है।
प्रांजल पाटिल ने किया ऑल इंडिया 773 का रैंक हासिल
प्रांजल पाटिल(Pranjal Patil) ने 7 साल की उम्र में अपनी दोनों आंखों की रोशनी खोली थी। लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए मजबूत और स्वतंत्र बनाया। फिर प्रांजल पाटिल ने टेक्नोलॉजी में एमफिल की डिग्री हासिल कर उन्होंने नेत्रहीन व दृष्टि बाधित लोगों के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया। फिर साल 2016 में उन्होंने अपने पहले प्रयास में ही यूपीएससी की परीक्षा क्लियर करली।
ऑल इंडिया रैंक में 2 स्थान पर अनू कुमारी
शादी के बाद अनु कुमारी(Anu Kumari) को लगा कि अगर वह सीएससी क्लियर कर लेंगे तो सही मायने में समाज के लिए कुछ कर पाएगी। इसलिए अनु कुमारी ने साल 2016 मैं अपने कॉरपोरेटर जॉब छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी करने लगी। उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए और बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल के लिए शानदार बैलेंस बनाए रखा और अपने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल कर ली।