टेक्सटाइल(Textile) और डायमंड(Diamond) सिटी के नाम से मशहूर सूरत(Surat) शहर अब देश में ऑर्गन डोनर सिटी के तौर पर मशहूर हो रहा है। ठक्कर परिवार के 53 वर्षीय उषाबेन रमेशभाई ठक्कर ब्रेनडेड हो गए थे और उनके परिवार ने डोनेट लाइफ(Donate Life) के माध्यम से उषाबेन की किडनी, लीवर और आंखें दान कर दी और पांच अन्य व्यक्तियों को नया जीवन दिया।
उषाबेन के परिवार ने मानवता की सुगंध फैलाकर समाज को एक नई दिशा दिखाई है। दिसा तालुका के बनासकांठा जिले में रहने वाली उषाबेन एक महीने से अपने बेटे मुकेश के घर सूरत में रह रही थीं, जो चार्टर्ड अकाउंटेंट की प्रैक्टिस कर रहा था।
11 जनवरी को शाम करीब 4 बजे उषाबेन को ऐंठन हुई और उल्टी होने लगी. परिजन तुरंत उसे इलाज के लिए BAPS प्रमुख स्वामी अस्पताल ले गए। अस्पताल ले जाने के बाद १६ जनवरी को उषाबेन ब्रेनडेड की वजह से मृत जाहेर किया गया
डॉक्टर ने फिर उषाबेन के परिवार को डोनेट लाइफ ऑर्गन डोनेशन का महत्व और ऑर्गन डोनेशन की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया। उषाबेन के पति रमेशभाई ने कहा कि जब शरीर जलकर राख हो जाए तो आप अंगदान कर अंगदान करने वाले मरीजों को नया जीवन देने के लिए आगे बढ़ें।
उषाबेन का लिवर और किडनी डोनेशन डॉ. किरण हॉस्पिटल, सूरत। रवि मोहनका, डॉ. प्रशांत राव, डॉ. धर्मेश धनानी, डॉ. मुकेश अहीर और उनकी टीम ने स्वीकार किया। उस समय नेत्रदान डॉ. प्रफुल्ल शिरोया ने स्वीकार किया। जूनागढ़ निवासी एक 40 वर्षीय व्यक्ति को दान किए गए लीवर के साथ सूरत के किरण अस्पताल में प्रत्यारोपित किया जा रहा है। उषाबेन के परिवार ने मानवता की सुगंध फैलाकर समाज को एक नई दिशा दिखाई है।